भारत, एक दिव्यभूमि! प्राचीन एवं न्यूनतम संस्कृतियों का देश, कला जगत इत्यादि इस देश को कुछ अलग रंगरूप में ढ़ालते हैं। मानवी मूल्यों का यह देश जहाँ श्रम और श्रमिकों का एक अटूट रिश्ता है। श्रम एक समूह मानव द्वारा की गयी यज्ञ है जिससे कोई भी कार्य सफल होता है। श्रम ही एक सीढ़ी है जिससे प्रत्येक मनुष्य अपने और परिवार के प्रति दायित्वों का निर्वाह करता है।
लेबर डे को हिंदी में "कामगार दिन", तेलुगु में "कार्मिका दिनोत्सवम", मराठी में "कामगार दिवस", मलयालम में "थोज़हिलाली दिनम" और बंगाली में "श्रोमिक दीबोश" के रूप में जाना जाता है।
1 मई 1973 को हिन्दुस्तान के मज़दूर किसान पार्टी द्वारा फर्स्ट मई डे (मई दिवस) को मद्रास (चेन्नई) में मनाया गया था। लाल रंग के ध्वज का उपयोग भी पहली वार इस समय में किया गया था। पार्टी नेता मलयपुरम सिंगरावेलु चेट्टियार भारत में मई दिवस की शुरूआत करने वाले प्रथम नेता थे, जब उन्होंने 1 मई 1923 में मद्रास में इसे 2 जगहों पर आयोजित किया था।
मज़दूर किसान पार्टी नें मद्रास में मई दिवस समारोह की शुरुआत की। सिंगरावेलु चेट्टियार ने बैठक की अध्यक्षता की थी। एक प्रस्ताव पारित किया गया था जिसमें कहा गया था कि सरकार को मई दिवस को अवकाश घोषित करना चाहिए। पार्टी के अध्यक्ष ने पार्टी के अहिंसक सिद्धांतों को समझाया और वित्तीय सहायता के लिए अनुरोध किया। इस बात पर जोर दिया गया कि दुनिया के श्रमिकों को स्वतंत्रता हासिल करने के लिए एकजुट होना होगा।
गुजरात स्थापना दिवस की आप सभी को बहुत बहुत बधाई!
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